ब्लड की कमी से किसी की जान नहीं जाने वाली, अनूप सैनी ने मंगलवार हनुमानजी का व्रत तोड़, रक्तदान कर बचाई महिला जान
अलवर (राजस्थान) - देश मे काफी जगह देखी जाती है की कुछ लोग बीमारी या शारीरिक कमजोरी के कारण उनके शरीर मे ब्लड की कमी आ जाती है ओर उस समय मरीज के लिए ब्लड की व्यवस्था नहीं होने से काफी लोगो की मौत हो जाती है। अगर ऐसे स्थिती में रोगी के लिए कोई अजनबी उनके लिए रक्तदान करे ओर रक्त की कमी से मरने वाले रोगी को एक नया जीवन दे जाए तो वह भगवान का रूप नहीं बल्कि भगवान ही माना जाता है जाता है। ऐसा ही एक मामला सोमवार को अलवर जिले मे सामने आया है जिसमें विजयमन्दिर स्थित डेहरा गांव निवासी 26 वर्षीय मोनादेवी का 1 साल से साहिल अस्पताल में चल रहा था। लेकिन गर्भवती होने के कारण 2 दिन पहले अलवर के सिंघल अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया है। जिनको डॉ ने ब्लड की कमी बताई ओर जल्द ही 4 यूनिट ब्लड की व्यवस्था करने को कहा। जिनके ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था जो मिल नहीं रहा था। मोनादेवी की लगातार प्लेटलेट्स कम होती जा रही थी और उन्होंने अपनी सहायता के लिए रक्तदाता जीवनदाता व्हाट्सएप ग्रुप पोस्ट डाल दिया। पोस्ट को देखते हुए ग्रुप में मूलचंद जांगिड़ ने 3 यूनिट आरडीपी को तुरंत प्रभाव से उपलब्ध कराया उसके बाद भी रात को मरीज की हालत ज्यादा सीरियस होने से उसकी प्लेटलेट्स लगातार गिरती रही रही थी। डॉ। ने 1 यूनिट ए + एसडीपी प्लेटलेट्स और बोल दिए जिससे मरीजों के परिजनों की पसीने छूट गए क्योंकि एसडीपी यूनिट काफी मशक्कत के बाद ही किसी को उपलब्ध हो सकती है।
काफी कोशिश करने के बाद पीड़ित के परिजनों ने ग्रुप के गुर्जर तारेश जोरवाल से संपर्क किया और उन्हें सहायता के लिए गुहार लगाई। तारेश जोरवाल ने, मरीज की तबियत को ध्यान में रखते हुए तुरंत प्रभाव से अपने दोस्त अनूप सैनी को फोन किया और उन्हें केस के बारे में जानकारी दी। लेकिन अनूप सैनी के मंगलवार का व्रत था तो उन्होंने बोला कि व्रत से बड़ा धर्म जान बचाना हमारा धर्म है तो रक्तवीर अनूप सैनी व्रत को तोड़ कर खाना पकाने और तुरंत A + SDP प्लेट्सलेट्स देने के लिए मोती डूंगरी ब्लड बैंक जा पहुंचें। साथ में टीम के सदस्य मूलचंद जांगिड़ और गिरीश गुप्ता प्रशासक मित्तल अस्पताल मौजूद थे। टीम के सदस्य ने बताया कि वह सब मिलकर काम करते हैं जैसे ही किसी का ब्लड के लिए उनके व्हाट्सएप ग्रुप में या किसी का फोन आता है तो वह सब मिलकर उस मरीज को तुरंत प्रभाव से ब्लड एसडीपी, RDP उपलब्ध मेक हैं। उनका यह भी कहना है कि ब्लड की कमी से किसी की जान नहीं जा रही होगी ।अनूप सैनी ने कहा कि व्रत तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है जान बचाना हमारा कर्तव्य है साथ ही इससे पहले भी अनूप सैनी 12 बार रक्तदान कर चुके हैं। आज पहली बार गर्भवती महिला को एसटीपी प्लेट के बारे में जान बचाई इसी बीच ग्रुप में तारेश जोरवाल का कहना है कि किसी को जीवन देने का मौका मिले तो छोड़ना नहीं होनी चाहिए वह फरिश्ते ही होते हैं जो किसी को जीवनदान दे पाते हैं।