19 जुलाई 2018 विलोनी
गाँव # विलोनी_ विलोनी में समाज सुधार व ग्राम विकास की लहर अनवरत जारी है | सक्रिय कार्यकर्ता # हेमराज जी (हेमू सर) ग्रामीणों को दुर्व्यसनों को छोड़ने के लिए उदाहरण देकर मॉटिवेट करने का प्रयास कर रहे हैं और इससे उनके गाँव में सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। उन्हीं के शब्दों में एक झलक आप भी देखिए ...। दुर्व्यसनों को छोड़ने के लिए हमारे द्वारा दिए जाने वाला सकारात्मक उदाहरण जिसको सुनकर हमारे गांव के अधिकांश लोगों के द्वारा अपनी सहमति से दुर्व्यसनों को छोड़ा जा रहा है | जैसे एक परिवार में प्रतिदिन कम से कम परिवार 50 गुटखा बीड़ी तंबाकू इत्यादि पर खर्च किए जा रहे हैं तो वह परिवार 1 महीने में 1500 रुपए खर्च कर रहा है यदि 1 साल का औसत लगाया जाए तो उस परिवार में 18000 रूपए 1 साल तक खर्च होंगे। रहे हैं यदि सामान्यता किसी परिवार के लोग 20 वर्ष की उम्र से दुर्व्यसनों से ग्रसित हो गए और उनकी जीवन प्रत्याशा आयु 60 वर्ष है तो उन्होंने 40 वर्ष तक प्रतिवर्ष 18000 रुपए खर्च किए तो उनकी खर्चा 720000 रुपए हो गई यदि किसी परिवार के व्यक्ति 20 वर्ष की उम्र से दुर्व्यसनों के शिकार हैं तो उन्हें लगभग 40 वर्ष की उम्र में मैं छय रोग (टीबी) है दिमाग से निकाल दे क्योंकि जब आपको बीयर की आदत लग जाएगी और जिस दिन बीयर को पैसे नहीं होंगे तो आप दारू पिएंगे जो टाइप एक सिगरेट पीने वाले के लिए सिगरेट को पैसे ना होने पर बीड़ी पीता है और जब बीड़ी पीने के लिए पैसे नहीं होते हैं हैं तो वह बीडी के टुकड़ों को उठा उठा कर पीने वाला जाता है अगर दारू पीते हैं तो 2500000 रुपए खर्च हो जाते हैं आर्थिक नुकसान के साथ-साथ आप सबके लिए सामाजिक मानसिक और शारीरिक नुकसान भी इन दुर्व्यसनों के द्वारा अपने आप मिल जाते हैं " समाज में कोई इज्जत नहीं रहती है कोई आपको पैसे उधार देने के लिए तैयार नहीं होता है कोई आप से बोलना बात करना तक भी पसंद नहीं करता तो फिर यह सब आप क्यों कर रहे हैं ???????? आपके मरने के बाद आपके बच्चे आपका परिवार जीवन भर के लिए दुखों से भरापन से भर जाता है और घर से बचने का लगता है यदि बहुत पैसों को उसी परिवार के द्वारा शिक्षा पर या ऐसे कार्य में निवेश करने के लिए किया जाता है जो आगामी समय में उसके साथ|